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SURYA NEWS INDIA

मसाले की खेती में भारत का विश्व में पहला स्थान- कुलपति

आजीविका सुरक्षा एवं विकास के लिए सुगंधित एवं बीजीय मसालों की खेती’ विषय पर जिला स्तरीय संगोष्ठी

कुमारगंज अयोध्या। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्ववि‌द्यालय के पशुपालन महाविद्यालय के प्रेक्षागृह में दो दिवसीय जिला स्तरीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। “आजीविका सुरक्षा एवं विकास के लिए सुगंधित एवं बीजीय मसालों की खेती’ विषय पर संगोष्ठी आयोजित हुई। कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वविद्यालय के कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह व अन्य अतिथियों ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ किया। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कुलपति डा. बिजेंद्र सिंह ने कहा कि किसान 90 दिनों में तैयार होने वाले मेंथा की खेती कर कम समय में अधिक मुनाफा कमा सकते हैं। मसाले की खेती करने में भारत विश्वभर में पहले स्थान पर है। मसाले की खेती के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं जिसका लाभ किसानों को उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय बागबानी मिशन और राष्ट्रीय कृषि योजना के तहत किसान मसाले की खेती करें। कुलपति ने कहा कि एफपीओ एवं स्वयं सहायता समूह के माध्यम से अपने उत्पादों का विक्रय करने पर किसानों को अधिक से अधिक फायदा होगा। सीमैप लखनऊ के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. राकेश कुमार ने कहा कि किसान सगंध एवं मसालों की जैविक विधि से खेती करें तो अधिक लाभ कमा सकते हैं। मेंथा की खेती हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके तेल का प्रयोग दवा तथा सुगंधा बनाने में भी किया जाता है। इस खेती में बस नमी का ध्यान रखना होता है और कई बार पानी लगाने की जरूरत होती है। वानिकी अधिष्ठाता डा. संजय पाठक ने बताया कि मेंथा की बुआई का उपयुक्त समय 15 जनवरी से 15 फरवरी तक होता है। नर्सरी से पौधों की रोपाई मार्च से अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक अवश्य कर देनी चाहिए नहीं तो किसानों को कम उपज प्राप्त होगी। सभी अतिथियों को पुष्पगुच्छ एवं मोमेंटो भेंटकर सम्मानित किया गया। डा. अनिल कुमार के संयोजन में कार्यक्रम आयोजित हुआ। सभी अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन डा. आशीष कुमार सिंह एवं स्वागत संबोधन अधिष्ठाता डा. संजय पाठक ने दिया। कार्यक्रम का संचालन डा. सीताराम मिश्रा ने किया। इस मौके पर विवि के समस्त अधिष्ठाता, निदेशक, शिक्षक, कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।

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