
चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है। यह नौ दिनों तक चलने वाला उत्सव मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के लिए समर्पित होता है। आज की तारीख (29 मार्च 2025) को देखते हुए, चैत्र नवरात्रि 2025 की शुरुआत संभवतः अप्रैल के पहले या दूसरे सप्ताह में होगी, क्योंकि यह हिंदू पंचांग के अनुसार तय होती है। पूजन विधि निम्नलिखित है:
चैत्र नवरात्रि पूजन विधि
तैयारी:
- घर की सफाई: पूजा से पहले घर को साफ करें और पूजा स्थल को शुद्ध करें।
- कलश स्थापना: एक मिट्टी या धातु का कलश लें। इसे जल, सुपारी, सिक्का, अक्षत (चावल), और आम के पत्तों से सजाएं। इसके ऊपर एक नारियल रखें।
- व्रत संकल्प: नवरात्रि के पहले दिन सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें।
- पूजा सामग्री: धूप, दीप, फूल, रोली, मौली, चंदन, फल, मिठाई, और पंचामृत तैयार करें।
दैनिक पूजा विधि:
- प्रतिपदा (पहला दिन) – कलश स्थापना और मां शैलपुत्री की पूजा:
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
- पूजा स्थल पर चौकी रखें, लाल कपड़ा बिछाएं और मां दुर्गा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- कलश स्थापना करें और “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” मंत्र का जाप करें।
- मां शैलपुत्री को सफेद फूल, घी का भोग, और श्रद्धानुसार दान दें।
- दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
- दूसरे से नौवें दिन:
- प्रत्येक दिन मां के अलग-अलग रूपों (क्रमशः ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री) की पूजा करें।
- मां को उनके प्रिय रंग के फूल, भोग (जैसे हलवा, पूड़ी, फल), और विशिष्ट मंत्रों से पूजें।
- सुबह-शाम आरती करें।
- मंत्र जाप:
- “या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।”
- प्रत्येक देवी के बीज मंत्र का जाप करें (जैसे शैलपुत्री के लिए “ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः”)।
नवमी (अंतिम दिन):
- कन्या पूजन: नौ कन्याओं (2 से 10 साल की उम्र) को मां दुर्गा का स्वरूप मानकर उनकी पूजा करें।
- उन्हें भोजन (पूड़ी, चना, हलवा) और दक्षिणा दें।
- हवन करें और “दुर्गा सप्तशती” के मंत्रों का उच्चारण करें।
- कलश विसर्जन के साथ पूजा समाप्त करें।
विशेष नियम:
- व्रत के दौरान सात्विक भोजन (बिना लहसुन-प्याज) लें।
- मन, वचन और कर्म से शुद्धता बनाए रखें।
- रोजाना मां की कथा या सप्तशती का पाठ करें।
यह पूजन विधि भक्ति और श्रद्धा के साथ करने से मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

