
गर्मी का मौसम फसल उत्पादन की दृष्टि से अत्यंत निर्णायक होता है, खासकर जब बात खरीफ सीजन की हो। आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या के पूर्व पीएच.डी. शोधार्थी एवं कृषि विशेषज्ञ डॉ. अभिनव यादव ने किसानों से आग्रह किया है कि वे खरीफ फसलों की बोवाई से पहले आवश्यक तैयारी अवश्य करें, जिससे आने वाली फसल में अधिकतम उत्पादन और लाभ सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने बताया कि इस समय की गई तैयारी फसल के संपूर्ण जीवन चक्र को प्रभावित करती है। डॉ. यादव ने किसानों को कुछ अहम बिंदुओं पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी।
गहरी जुताई करें: गर्मी में 6–8 इंच गहरी जुताई करने से मिट्टी की ऊपरी परत टूटती है और खरपतवार व कीटों के अंडे नष्ट होते हैं। इससे मिट्टी की जलधारण क्षमता बढ़ती है।
मिट्टी की जांच कराएं: खेत में कौन-सी पोषक तत्वों की कमी है, यह जानना जरूरी है। इसके अनुसार उर्वरकों का संतुलित प्रयोग किया जा सकता है। सरकार द्वारा मुफ्त मृदा परीक्षण की सुविधा भी उपलब्ध है।
सेंद्रिय खाद का प्रयोग: गोबर खाद, वर्मी कंपोस्ट या फसल अवशेषों से तैयार खाद का प्रयोग करने से मिट्टी की उर्वरता और जीवांश कारक (ऑर्गेनिक कार्बन) में सुधार होता है।
बीज चयन और उपचार: खरीफ फसलों जैसे धान, मक्का, बाजरा, सोयाबीन, उड़द, मूंग आदि की उन्नत, रोग प्रतिरोधक और कम अवधि वाली किस्मों का चयन करें। बीज को बोने से पहले ट्राइकोडर्मा या कार्बेन्डाजिम जैसे जैव या रासायनिक फफूंदनाशकों से उपचार करें, जिससे अंकुरण अच्छा होता है और प्रारंभिक रोग नहीं लगते।
जल प्रबंधन की तैयारी: खेत में जल निकासी की उचित व्यवस्था सुनिश्चित करें, ताकि भारी बारिश की स्थिति में फसल प्रभावित न हो। साथ ही, जल संचयन (रेनवाटर हार्वेस्टिंग) की योजनाओं पर काम करें।
अंत में डॉ. यादव ने बताया कि “खेती अब केवल परंपरा नहीं, विज्ञान का विषय बन चुकी है। अगर किसान समय से और वैज्ञानिक तरीके से तैयारी करें तो मौसम की मार को भी मात दी जा सकती है।”

