
अयोध्या जनपद के आदर्श नगर पंचायत कुमारगंज से महर्षि बामदेव तपोस्थली तक का मार्ग खराब हो गया है। एक किलोमीटर लंबे इस मार्ग पर बड़े गड्ढे हैं। बारिश में ये गड्ढे पानी भर जाने से तालाब जैसे हो जाते हैं। सावन माह में बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा के लिए यहां आ रहे हैं। यह मार्ग 12 से अधिक ग्राम पंचायतों को जोड़ता है। हर दिन हजारों लोग इस मार्ग का उपयोग करते हैं। स्कूली बच्चों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। बस से यात्रा करने वाले बच्चे फिर भी निकल जाते हैं। साइकिल या पैदल चलने वाले विद्यार्थियों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

महर्षि बामदेव तपोस्थली का ऐतिहासिक महत्व है। कहा जाता है कि अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र भरत का मुंडन संस्कार यहीं हुआ था। यहां 51 बीघे में स्थित हरि सागर की सात सीढ़ियां सोने की थीं। भगवान राम ने भी अपनी शिक्षा इसी आश्रम (तपोस्थली) में ली थी।पर्यटन विभाग 45 करोड़ रुपये की लागत से हरि सागर मंदिर परिसर का सौंदर्यीकरण कर रहा है। इसमें सागर का सौंदर्यीकरण, बाउंड्री वॉल और श्रद्धालुओं के लिए विश्राम स्थल बनाया जा रहा है। वेद-पुराणों और श्री राम चरित मानस में भी इस तपोस्थली का जिक्र है।
आदिकाल से भगवान शंकर का शिवलिंग यहां मौजूद है। आश्रम के चारों ओर हजारों साल पुराने वट वृक्ष हैं। महंत के अनुसार मंदिर परिसर में खुदाई के दौरान कई प्राचीन मूर्तियां और शिलालेख मिले हैं। इन्हें आज भी सुरक्षित रखा गया है। भक्त यहां पूजा-पाठ और जलाभिषेक करते हैं। आश्रम के पुजारी राजू पंडित के अनुसार पड़ोसी जनपदों से भी लोग दर्शन-पूजन के लिए आते हैं।


