
केजीएमयू के चिकित्सकों की तत्परता से बची महिला मरीज की जान
पैथोलॉजी के कर्मियों के खिलाफ पीड़ित ने की शिकायत
मिल्कीपुर अयोध्या। सौ शैय्या संयुक्त चिकित्सालय कुमारगंज की पैथोलॉजी से हुई खून जांच में सनसनीखेज रिपोर्ट आने के बाद प्रसव पीड़ित महिला मरीज सहित उसके परिवार में हड़कंप मच गया था। हालांकि किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज लखनऊ स्थित ब्लड बैंक के डॉक्टरों की तत्परता के चलते प्रसव पीड़ित महिला की जान बच सकी। संयुक्त चिकित्सालय कुमारगंज के पैथोलॉजी में कार्यरत कर्मियों के खिलाफ महिला के पति ने मुख्य चिकित्सा अधीक्षक से शिकायत कर कार्यवाही की गुहार की है। हालांकि अभी सीएमएस की ओर से कार्यवाही किए जाने के आश्वासन दिया गया है।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक खंडासा थाना क्षेत्र के रायपट्टी गांव निवासी आशीष कुमार सिंह अपनी पत्नी नंदिनी सिंह का इलाज संयुक्त चिकित्सालय कुमारगंज से करवा रहे थे, अस्पताल के चिकित्सक ने बीते 1 अगस्त को महिला नंदिनी सिंह के ब्लड की जांच कराई जहां पैथोलॉजिस्ट की ओर से उन्हें उनके ब्लड ग्रुप को बी नेगेटिव बताते हुए रिपोर्ट दे दी गई। प्रसव पीड़ा होने के उपरांत संयुक्त चिकित्सालय के डॉक्टर ने उन्हें मेडिकल कॉलेज अयोध्या रेफर कर दिया। वहां पर भी डॉक्टरों ने संयुक्त चिकित्सालय की जांच रिपोर्ट को सही मानते हुए बिना जांच कराए लखनऊ मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। उधर महिला प्रसव पीड़ा से कराहती रही।
मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर ने दो यूनिट ब्लड की डिमांड की इसके बाद ब्लड बैंक की ओर से महिला के ब्लड की जांच की गई जहां रिपोर्ट में महिला का ब्लड ग्रुप बी पॉजिटिव निकला जिसके बाद मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों सहित महिला के तीमारदारों में हड़कंप मच गया। हालांकि महिला का डॉक्टर द्वारा सुरक्षित प्रसव कराया गया जहां जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।

मेडिकल कॉलेज लखनऊ से अपने घर वापस लौट के उपरांत महिला के पति आशीष कुमार सिंह सोमवार को संयुक्त चिकित्सालय कुमारगंज पहुंचे और उन्होंने समूचे घटनाक्रम का हवाला देते हुए शिकायती प्रार्थना पत्र अस्पताल के सीएमएस को सौप जहां उन्होंने कार्यवाही का आश्वासन देकर उन्हें वापस लौटा दिया है। उधर पैथोलॉजिस्ट डॉक्टर प्रशांत कुमार का कहना है कि उनकी जानकारी में नहीं था, अस्पताल के अन्य दो कर्मी भी रिपोर्ट तैयार करते हैं। फिलहाल अब देखना है कि अस्पताल प्रशासन इतने बड़े मामले में कौन सी कार्यवाही अपने मातहतों के खिलाफ करता है। दूसरी ओर पीड़ित आशीष कुमार का कहना है कि यदि अस्पताल प्रशासन द्वारा कार्यवाही नहीं की गई तो वह प्रकरण को लेकर न्यायालय तक का दरवाजा खटखटाएंगे और संबंधित दोषियों के खिलाफ कार्यवाही जरूर कराएंगे


